
Shruti Vyas
Journalist at NayaIndia
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Articles
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1 month ago |
nayaindia.com | Shruti Vyas
भारत आज व्हाट्सएप और हैशटैग पर जिंदा है। हम चन्द्रमा पर यान उतरने पर गर्व महसूस करते हैं। मगर चांद से बहुत नज़दीक मणिपुर हमें नज़र नहीं आता। दरअसल हम अपनी महानता के गीत इतने ज़ोर-जोर से इसलिए गाते हैं ताकि हमारा ध्यान उस दर्पण से हट सके जो हमें हमारी असलियत दिखा रहा है। आज का भारत आधा बना नहीं है और आधा बदहवास, बिफरा हो गया है। व्हाट्सएप पर झुंझला रहा है, हैशटैग्स पर मार्च कर रहा है, और प्रोपेगेंडा ही उसकी देशभक्ति है। मुझे वह क्षण याद है जब मैंने पहलगाम हमले की खबर सुनी और दिल से निकला—“फिर...
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1 month ago |
nayaindia.com | Shruti Vyas
सवाल सिर्फ हार्वड या अमेरिका का नहीं है। यह सारी दुनिया में उच्च शिक्षा की अंतरात्मा से जुड़ा मुद्दा है। जब विश्वविद्यालय सत्ता के सामने सिर झुका देते हैं, तब उनके अस्तित्व का औचित्य ही समाप्त हो जाता है।… तब वे अध्ययन का केंद्र नहीं बल्कि कीर्तन और प्रोपेगेंडा के औजार हो जाते हैं। कुलीन-एलीट वर्ग हमेशा निशाने में रहता है। कभी दक्षिणपंथ का और कभी वह वामपंथ के जुमलों की राजनीति में पंचिंग बैग हुआ होता है। उस पर ठिकरा फोड़ कर नेता गरीब, बेपढ़, मध्यवर्ग में अपनी राजनीति चमकाते है। इन दिनों...
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1 month ago |
nayaindia.com | Shruti Vyas
इजराइल हमास को नहीं बल्कि गाजा को ही नेस्तनाबूद करने पर आमादा है। वह ईंट-दर-ईंट, इंसान-दर-इंसान गाजा को ख़त्म कर रहा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शायद तय कर लिया है कि वे गाजा में एक भी फिलिस्तीनी को नहीं बचने देंगे। इजराइली सेना ने कहा था कि वह एक नेक काम के लिए – आतंकवाद के सफाए के लिए – युद्ध लड़ रही है। मगर ऐसा लगता नहीं है। इजराइल के इरादे भयावह हैं। वह सुरक्षा के बहाने एक इलाके, वहा के लोगों का सफाया कर रहा है। गाजा में मकान खाक में मिल गए हैं। अस्पताल कब्रिस्तान बन गए हैं और...
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1 month ago |
nayaindia.com | Shruti Vyas
इस साल गर्मियों में मुझे एक पारिवारिक दोस्त की शादी में शामिल होने अमेरिका जाना था। पर अब मैं अमेरिका नहीं जा रही हूँ। आप सोच रहे होंगे कि शायद वीसा हासिल करने के लिए ज़रूरी कागज़ी कार्यवाही से बचने के लिए मैंने यह तय किया। बिलकुल नहीं। मैं कागज़ी कार्यवाही से बिलकुल नहीं डरती। बात यह है कि मुझे नहीं लगता कि मुझे एक ऐसे देश में जाना चाहिए जो सैलानियों को संदेह की दृष्टि से देखता है। पढने या काम करने के लिए अपने यहाँ आने वालों को हमलावर मानता है। और फिर मैं आखिर अपनी साल भर की बचत, बल्कि उससे भी...
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2 months ago |
nayaindia.com | Shruti Vyas
खाने के बाद रोज़ाना की अपनी 15 मिनट की चहलकदमी के दौरान मैंने नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर) का एक पॉडकास्ट सुना। उसका शीर्षक था “ट्रम्प के चीन पर टैरिफ से कुछ देश फायदे में रहेंगे। विएतनाम उनमें से एक है।”छह मिनट के इस पॉडकास्ट को मैंने बहुत ध्यान से सुना। क्यों? क्योंकि उसके शीर्षक में विएतनाम शब्द था। और विएतनाम मुझे बेहद पसंद है। मुझे मुझे उतना ही आकर्षित करता है जितना स्कॉटलैंड या यूरोप। विएतनाम में क्या है जिसने मुझे उसका मुरीद बना दिया है?
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