
Prabhat Milind
Articles
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Jan 3, 2025 |
ruralindiaonline.org | Umesh Kumar Ray |Prabhat Milind
एक कोबरा नाग एक बड़े सागवान के पेड़ की साख से लिपटा हुआ है. रत्ती टोला मेंरहने वाले लोगों की लगातार कोशिशों के बाद भी वह अपनी जगह से हिल नहीं रहा है. कोई पांच घंटे बाद, थके-हारे ग्रामीण मुंद्रिका यादव को बुलाते हैं, जो कभीपास के वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व में वनरक्षक रह चुके हैं. उन्होंने अब तक 200 से भी अधिकजीव-जंतुओं की जान बचाई है, जिसमें बाघ, तेंदुआ, गेंडे, और सांप शामिल हैं. जब मुंद्रिका वहां पहुंचे, तो सबसे पहले उन्होंने कोबरा को नीचे उतारने काप्रयास किया, और वह उतर भी आया.
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Dec 22, 2024 |
ruralindiaonline.org | Ritayan Mukherjee |Prabhat Milind
संभव है कि सातजेलियाका यह डाकघर आप को दिखे भी नहीं. यह मिट्टी के एक झोपड़े में बना है और बाहर टंगे धातुके लाल लेटरबॉक्स से ही इसके डाकघर होने का कयास लगाया जा सकता है. पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले का यह 80 साल पुराना उप-डाकघर सात ग्रामपंचायतों को अपनी सेवा देता है. मिट्टी के बने इस ढांचे ने आइला और अम्फान जैसे भयानकचक्रवातों का मुक़ाबला किया है, जिन्होंने सुंदरबन इलाक़े में भारी तबाही मचाई थी. ऐसेबहुत से स्थानीय लोगों के लिए यह जीवन-रेखा की तरह है, जिनका डाकघर में बचत खाता है.
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Dec 17, 2024 |
ruralindiaonline.org | M. Kumar |Prabhat Milind
हर बारजब मैं अपने लोगों की मौतों के बारे में लिखने की कोशिश करता हूं, मेरा दिमाग़ ठीक वैसेही सुन्न पड़ जाता है जैसे किसी मरे हुए आदमी के शरीर से सांस निकल जाती है. हमारे आसपास की दुनिया ने इतनी तरक्की कर ली है, लेकिन दुर्भाग्यसे हाथ से मैला साफ़ करने वाले कर्मचारियों के जीवन के प्रति हमारा समाज आज भी कोई जवाबदेहीमहसूस नहीं करता है.
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Dec 9, 2024 |
ruralindiaonline.org | Sarbajaya Bhattacharya |Priti David |Prabhat Milind
मरही माता के मंदिर के चार फूट ऊंचे प्रवेशद्वार के कारण दर्शनार्थियों कोमंदिर में माथा झुकाकर दाख़िल होना पड़ता है. लेकिन माता की दैवीय शक्ति के प्रति लोगोंके मन में इतनी गहरी आस्था है कि मरहा और उसके आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोगोंकी भीड़ उनके दर्शन के लिए उमड़ पड़ती है. “अगर आपके परिवार में कोई बीमार पड़ जाए, तो आप भगवती के मंदिर में प्रार्थनाके लिए आ सकते हैं,” बाबू सिंह कहते हैं. कई दूसरे दर्शनार्थियों के साथ बरगद के पेड़की छाया में बैठे बाबू सिंह पूजा शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
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Nov 15, 2024 |
ruralindiaonline.org | Ashwini Shukla |Priti David |Prabhat Milind
“मैंने कई बार 108 नंबर [एम्बुलेंस सेवा के लिए] पर फ़ोन मिलाया. या तो हमेशा लाइन व्यस्त मिलती थी या पहुंच से बाहर बताई जाती थी.” गणेश पहड़िया की पत्नी को गर्भाशय में संक्रमण था और इलाज चलने के बाद भी उनकी स्थिति बहुत गंभीर हो गई थी. उस समय तक रात घिर चुकी थी और उनका दर्द बढ़ता जा रहा था. गणेश उन्हें जल्दी से जल्दी मेडिकल सुविधाएं दिलाने के लिए परेशान थे. “हार-थककर मैंने स्थानीय मंत्री के सहायक से संपर्क किया. मुझे उम्मीद थी कि उससे कोई मदद मिलेगी.
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